रिप्रजेन्टेशन
एक बार एक सूखे से हाय-हाय करती जनता पर इंद्र की बड़ी जोर क्रिपा हुयी और झमाझम बारिश पड़ने लगा। मरनासन्न जनता को पहले तो बड़ा हर्ष हुआ पर आगे देखिए।
ठाकुर साहब की ठकुराइन : ठाकुर सा, इ त लोहरी साव का पूरा खेतवे पट जाएगा जल्दी से कुछ करिए जी।
ठाकुर साहब ने रिप्रेजेन्टेशन लिखवाया। माननीय इंद्र, चुंकि हम ठाकुर जात के हैं, गांव के पुस्तैनी जमींदार, तो पानी का आधा हिस्सा तो हमे ही मिलना चाहिए, बाद मे लोहरी साव को मिले, छोट जात का है बराबरी नही होना चाहिए। आपका खादिम। अंगुठा का छाप।
शुरुआत हो गयी।
पंडिताइन : बारिश हुआ आपके धरम- करम से आ खेत पट रहा है सब का।
मजमून : मै गांव का पंडित भगवान को प्रसन्न मैने किया। सब के खेतों का एक तिहाई पानी मिले या मेरी इच्छा से खेतों मे बारिश हो।
महाजन : यज्ञ का खर्च हमने किया, पानी भी हमी को मिलना चाहिए।
अनुसूचित लोग : सौ सालों से हमारा हक मार कर रखा है पचास प्रतिशत आरक्षण वाला तो मिले ही मिले आ बाकीयो मे हमको हिस्सा मिले आ कुछ तालाबो बनवा कर मिले । माने मिलते ही रहे दो-चार सौ सालों तक।
जतरा भगत : बिकलांग हैं इसलिए मिले।
पढल- लिखल :मूरख क्या करेगा इसलिए हमको मिले।
मूरख : मूर्ख हैं इसलिए मिले।
जो पत्नी के कहने पर ना जगे उनकी पत्नियां जगीं। मेरे पति ने चूड़ी पहनी हुयी है इसलिए हमको भी मिले।
मेरे पति ने मेंहदी लगा रखी है इसलिए मिले।
इन्द्र भगवान भी आजिज आ गये थे कहा पहले बिजलौका गिरा देता हूं उसमे अपना-अपना हिस्सा बांट उसके बाद ही बारिश होगी अब।
एक बार एक सूखे से हाय-हाय करती जनता पर इंद्र की बड़ी जोर क्रिपा हुयी और झमाझम बारिश पड़ने लगा। मरनासन्न जनता को पहले तो बड़ा हर्ष हुआ पर आगे देखिए।
ठाकुर साहब की ठकुराइन : ठाकुर सा, इ त लोहरी साव का पूरा खेतवे पट जाएगा जल्दी से कुछ करिए जी।
ठाकुर साहब ने रिप्रेजेन्टेशन लिखवाया। माननीय इंद्र, चुंकि हम ठाकुर जात के हैं, गांव के पुस्तैनी जमींदार, तो पानी का आधा हिस्सा तो हमे ही मिलना चाहिए, बाद मे लोहरी साव को मिले, छोट जात का है बराबरी नही होना चाहिए। आपका खादिम। अंगुठा का छाप।
शुरुआत हो गयी।
पंडिताइन : बारिश हुआ आपके धरम- करम से आ खेत पट रहा है सब का।
मजमून : मै गांव का पंडित भगवान को प्रसन्न मैने किया। सब के खेतों का एक तिहाई पानी मिले या मेरी इच्छा से खेतों मे बारिश हो।
महाजन : यज्ञ का खर्च हमने किया, पानी भी हमी को मिलना चाहिए।
अनुसूचित लोग : सौ सालों से हमारा हक मार कर रखा है पचास प्रतिशत आरक्षण वाला तो मिले ही मिले आ बाकीयो मे हमको हिस्सा मिले आ कुछ तालाबो बनवा कर मिले । माने मिलते ही रहे दो-चार सौ सालों तक।
जतरा भगत : बिकलांग हैं इसलिए मिले।
पढल- लिखल :मूरख क्या करेगा इसलिए हमको मिले।
मूरख : मूर्ख हैं इसलिए मिले।
जो पत्नी के कहने पर ना जगे उनकी पत्नियां जगीं। मेरे पति ने चूड़ी पहनी हुयी है इसलिए हमको भी मिले।
मेरे पति ने मेंहदी लगा रखी है इसलिए मिले।
इन्द्र भगवान भी आजिज आ गये थे कहा पहले बिजलौका गिरा देता हूं उसमे अपना-अपना हिस्सा बांट उसके बाद ही बारिश होगी अब।
प्रकाश रंजन
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