बचवा पकड़ा गया था और पुलिस वालों ने उसे जम कर सोटा था। कल किसी बाबू ने रपट करायी थी कि उनके हजार-बारह सौ रूपये तथा फोन एक रिक्शे पर छूट गये थे और बताये गये हुलिये पे बचवा उर्फ बच्चा मान्झी फिट बैठा था ।इतनी सी बात और पुलिसवाले उसे उठा ले गये थे फिर तो खम्भे से बान्ध कर उसे लात जूतों पर रखा था पुलिसियों ने।
तीन दिन से हाजत मे था बचवा पता नही कब कोरट मे पेशी करें। मार का इतना गम नही था पर बीमार बच्ची की चिन्ता उसे खाये जा रही थी। हिम्मत करके पुलिसिये से घिघियाआ था बाबू, थानेदार बाबू से भेंट .... और पसलियों मे एक घूंसा पड़ा था उसके, साहब से बात करेगा स्साला। खम्भे मे बन्धे हुए ही वह दर्द से दोहरा हो गया।
इतना अपनी अज्ञानता मे भी जानता था वह की साल सवा साल अब उसकी कोई नही सुनेगा। पता नही बीमार बच्ची तब तक बचेगी भी या नही ।। वैसे भी कौन बाहर रहकर उसका इलाज करवा पा रहा था वह। आंखों मे बेबसी के आंसू, अब तो भगवान ही मालिक है।
इधर भगवान उर्फ भगवान राय मंडराने लगे थे बचवा के घर के बाहर। घर मे बीमार बच्ची है और बचवा की जवान लुगाई, अकेली और मजबूर। कुछ फर्ज तो साहूकार होने के नाते उनका भी बनता ही है धरम करम कमाने का।
पूरे डेढ साल बाद बचवा छूटा है जेल से। कुछ अपने अायु और कुछ भगवान राय के धर्म कर्म से बचवा की बिटिया अब निरोग और अच्छी हो गयी है। बाकी बहुत कुछ नही बदला बस बचवा की लजकोटर लुगाई अब माथा उघाड़ कर बाहर निकलने लगी है।
-----------+---------+----------------+-------------------+------------+----
आज थाने मे ज्यादा ही कोलाहल है। थानेदार क्या पुलिस कप्तान खुद हाथ बांधे खड़ा है। बच्चा राय पुलिस के हत्थे चढा कम-से-कम अखबारों मे ऐसी ही खबर आयी थी। बच्चा राय पर हत्या, रेप और लूटपाट के राज्यभर मे पचीसियो मामले लंबित थे। एक बीडीओ को तो उसने पूरी भीड के सामने काट डाला था। पुलिस उसकी खोज मे वर्षों से थी मगर वह हाथ कहाँ आता था।
अदना सिपाही से लेकर एस.पी़. तक सब बच्चा बाबू की नजरों मे चढने के चक्कर में जी हुजुरी मे लगा है। कल से ही बच्चा बाबू के सरेंडर की जानकारी थी और थाने को उनके आवभगत के लिये तैयार कर के रखा गया था। सुना है राजधानी से फोन गया था कि बच्चा बाबू को थाने मे किसी तरह का कोई कष्ट न पहुंचे। उनके लाव-लश्कर के लिये कुर्सीयों की व्यवस्था, चाय पान आदि मे थानेदार ऐसे अपसियांत था जैसे बेटी की बारात दुआरे पर हो, नौकरी का मसला। एस.पी. के होठों पर सर सर की रट लगी हुयी थी। मीडिया के लोगों का हुजूम था और बच्चा बाबू के संबोधन का इंतजार।
बच्चा बाबू ने एस पी साहब को इशारा किया मीडिया को बुलाइये। प्रेस कांफ्रेंस शुरू हुआ। "मुझ पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, मुझे भारत की न्याय व्यस्था पर पूरा भरोसा है और मै पाक साफ होकर निकलूंगा। सत्ताधारी दल ने मुझे इस क्षेत्र से टिकट देने का वायदा किया है जिससे मै जनता की सेवा कर सकूं, आदि।"
बच्चा राय सात दिनों के भीतर जेल से रिहा हो जायेंगे तथा अमुक पार्टी के उम्मीदवार होंगे इसकी प्लाटिंग पहले से तैयार है और कोर्ट, थाने सब को अपनी भूमिका अच्छे से पता है।
प्रकाश रंजन
No comments:
Post a Comment