Thursday, 1 August 2019

मुझे पता नही

मुझे पता नही 
मै कौन हूं?
जीवन के रहस्य
मै नही जानता।
अपने-पराए सगे-संबंधी
कौन हैं ये सब-के-सब?
क्यूं बने हैं ये रिश्ते-नाते?
सूरज की रोशनी
चारों दिशाएं
पशु-पक्षी, नदी-नाले
झड़ने-पहाड़?
और क्यूं
चांद की धवल किरणों से
जगमगाता है संसार?
क्यूं बनी है यह सृष्टि
इसके हरेक अणु
अनगिनत इच्छाएँ?
क्यूं मुझे इनकी जरूरत है?
जबकि मै तो
संपूर्ण हो सकता हूं बस तुमसे।
मेरे अस्तित्व के लिए
तुम्हारा होना ही काफी है।

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