Tuesday, 4 April 2017

पटी थी क्या

सालों पहले जो हम किए थे तुमसे दिल की बात
और तुम अपनी बात पेटवे मे रख लिए थे!

ना मुस्कुराए ना खिसियाए ना ही चीखे- चिल्लाए।
कुछ हुआ ही नही ऐसा ही तुम दिखलाए!!

अब तुम अच्छे थे कि रंजूआ जो हुज्जत जो की
आ भरे बजार सैंडलवे से कूट भी दी!

टूट गया था मेरा दिल बिचारा बेजार रोया था
सैंडल की खट पट से कितनो दिन न सोया था!!

मर बात इ बुझा गया था किलियर सोलहो आना
कि अब तो रंजूआ के साए से भी बच कर है रहना!

मर इ केस मे तो आज भी कशमकस मे हूं कि
उस दिन पटे थे तुम कि पिटने से बचा था मै!!
प्रकाश रंजन

1 comment: