सालों पहले जो हम किए थे तुमसे दिल की बात
और तुम अपनी बात पेटवे मे रख लिए थे!
ना मुस्कुराए ना खिसियाए ना ही चीखे- चिल्लाए।
कुछ हुआ ही नही ऐसा ही तुम दिखलाए!!
अब तुम अच्छे थे कि रंजूआ जो हुज्जत जो की
आ भरे बजार सैंडलवे से कूट भी दी!
टूट गया था मेरा दिल बिचारा बेजार रोया था
सैंडल की खट पट से कितनो दिन न सोया था!!
मर बात इ बुझा गया था किलियर सोलहो आना
कि अब तो रंजूआ के साए से भी बच कर है रहना!
मर इ केस मे तो आज भी कशमकस मे हूं कि
उस दिन पटे थे तुम कि पिटने से बचा था मै!!
प्रकाश रंजन
Bach gye the lekhak mahodayji,
ReplyDelete