Monday, 3 April 2017

जब दूर होते हो

जब दूर होते हो तुम
सितारों मे भी तुम्हें जान
बहलाता हूं खुद को
दिल मे बसे हो या आंखों मे कह
छलता हूं खुद को, तुम्हे नही।
पर तुम होते कहीं नही
हो सकती बस छवि तेरी।
सजीव सी पर निर्जीव ही।
पास मे भी तुम साथ कहां होते
अपनी जिम्मेदारियों या फिर
दुनिया भर के रिश्ते निभाते
ढूंढती मेरी नजर फिर तेरी
छवि मे ही तुझे तलाशती है।
जैसे प्रारब्ध हो जीवन का
तेरी छवि मे खुद को ढूंढना
और जीना इस विश्वास के
संग की तू मेरी है बस मेरी
प्रकाश रंजन

No comments:

Post a Comment