Thursday, 1 August 2019

ख्वाबों की सुबह

ख्वाबों की सुबह
पंछियों का कलरव
क्षितिज पर छायी
सूरज की लालिमा
उम्मीद की किरणों से
रौशन होते ख्वाब।।
तपती दुपहरी
दहकता सूरज
माथे पर चुहचुहाती
पसीने की बूंदें
थके हुए ख्वाब
ठौर तलाशते ख्वाब।।
शाम का धुंधलका
घिरता अंधेरा
झींगुरों का शोर
फैला चारों ओर
सहमे से ख्वाब
डरे हुए ख्वाब।।
मौत की खामोशी
अंधकार का साम्राज्य
काली चादर ओढकर
घिर आयी है रात
ख्वाब अब सो गये हैं
ख्वाब कहीं खो गये हैं।।

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