Thursday, 1 August 2019

कुछ बदला-बदला था

कुछ बदला-बदला था
अरसे बाद हमारा मिलना
तूने देखा भी मुझे या
इधर-उधर देखते रहे तुम
शायद बचना चाहते थे
मैने तुम्हारी नजरों को
खुद केन्द्रित देखा ही नही
कोशिश की थी जतन भर
की बस घूरने लगो मुझे
इतना की खुद मे शर्मा जाऊं
बच से रहे थे तुम या फिर
नही चाहते थे रुसवा करना
पर मैने महसूस किया था
तुम्हें पूरी-पूरी शिद्दत से
खुद को अपने होने को भी
इतना की मेरी ही देहगंध
मेरे नथुनों से टकरायी थी
अरसे बाद मैने खुद को और
अपने होने को महसूस किया था
अर्सा क्या युग कह सकते हो
अब लगता है मैने तुम्हे नही
खुद को ही अर्से बाद देखा
क्यूंकि अर्से बाद तुम पास थे
और तुम्हारे होने से मै थी
अपने पूर्णता और अपने
पूरे वजूद के साथ अरसे बाद।

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