कभी तुम रब बनाते हो
कभी दिल मे छुपाते हो
कभी अपना बताते हो
कभी सब भूल जाते हो।।
कभी दिल मे छुपाते हो
कभी अपना बताते हो
कभी सब भूल जाते हो।।
कभी कहते हो मुझ सा
दूसरा न है कोई जग मे
कभी काफिर बताते हो
कभी इल्जाम गढते हो।।
दूसरा न है कोई जग मे
कभी काफिर बताते हो
कभी इल्जाम गढते हो।।
तेरे हर इक फसाने पर
पड़ेंगे गांठ रिश्तों मे
मेरी जाना ये जीवन है
इसे तुम खेल कहते हो।।
पड़ेंगे गांठ रिश्तों मे
मेरी जाना ये जीवन है
इसे तुम खेल कहते हो।।
कहां कहते हैं तुमको हम
बिठा लो अपने पलकों पर
गिराओ गर अगर हमको
न टूटें हम करम कह दो।।
बिठा लो अपने पलकों पर
गिराओ गर अगर हमको
न टूटें हम करम कह दो।।
कि मै हूं मीत या वैरी
यह इक बार तय कर लो
हमारी इल्तिजा सुन लो
न बदलोगे ये तुम कह दो।।
यह इक बार तय कर लो
हमारी इल्तिजा सुन लो
न बदलोगे ये तुम कह दो।।
मै इनसां हूं या हूं शैतान
न मुझको हो भ्रम कोई
कि मैने कब कहा तुमसे
मुझे भगवान तुम कह दो।।
न मुझको हो भ्रम कोई
कि मैने कब कहा तुमसे
मुझे भगवान तुम कह दो।।
कि मै मै ही बना रह लूं
इनायत हो फक़त इतनी
सितम जो ढा रहे हो तुम
इसे अब आखिरी कह दो।
इनायत हो फक़त इतनी
सितम जो ढा रहे हो तुम
इसे अब आखिरी कह दो।
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