Thursday, 1 August 2019

पर जाना हैं तुम्हें



सुरमई शाम है
पलकों पर सजे हैं
ढेर सारे ख्वाब
आंखों मे चमक है
अधरों पर मुस्कान
पर जाना है तुम्हें
ख्वाहिश यह मेरी
पा लूं एक दिन तुम्हे
हाथों मे लिए तेरा चेहरा
निहारता फिरूं अपलक
खुदा मेहरबां है
पर जाना है तुम्हें
ख्वाबों पे दस्तक हुयी
फिजाओं मे संगीत घुला है
वही परिचित देह-गंध
नथूनों मे समायी है
तमन्नाएं बेकाबू हैं
पर जाना हैं तुम्हें
मन उदास है
बेकल और बेचैन
आंखों के कोर से
ढलक आते हैं आंसू
सांसे बोझिल हैं
पर जाना हैं तुम्हें

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