Thursday, 1 August 2019

जिद से जिद की बनी हुयी है

जिद से जिद की बनी हुयी है
जिद और जिद की ठनी हुयी है।
जिद ने जिद से रार लिया है
झगड़ा यह बेकार लिया है।
पर जब जिद मे बात बढी है
जिद ने दिल की बात कही है।
चाहे जिद मे छूटेगा सब
जिद तो लेकिन ना छूटे अब।
जिद की जिद मे जिद जीता है
जिद ने प्यार को मार दिया है।
जिद से पहले खुदा बना था
आज वो जिद से हार गया है।
जिद का किस्सा खत्म हुआ है
जिद इसमें क्यूं हैरानी है?
जिद के संग अगर रहना है
प्यार की बातें बेमानी हैं।
© प्रकाश रंजन 'शैल'।

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