आज सुबह से भींगा मौसम
गा गा कर बरसाए तान
आज सुबह से बरखा बूंदें
प्रीत मिलन के गाए गान
खुल कर बरसो मेघदूत तुम
इस धरनी की प्यास भरो
बेकल मन बेचैन ह्रदय मे
पिया मिलन की आस भरो
प्रेम सुधा बरसाओ बदरा
विरह अग्नि मे सुलगे तन
भींगी जुल्फें नैन मद भरे
प्रीत लपट मे झुलसे मन
आज 'शैल' है मन बौराया
तड़प रहा दिल पीड़ बढ़े
बरखा बूंदों की है माया
नैन मे बरबस नीर भरे।।।।
© प्रकाश रंजन 'शैल'।
गा गा कर बरसाए तान
आज सुबह से बरखा बूंदें
प्रीत मिलन के गाए गान
खुल कर बरसो मेघदूत तुम
इस धरनी की प्यास भरो
बेकल मन बेचैन ह्रदय मे
पिया मिलन की आस भरो
प्रेम सुधा बरसाओ बदरा
विरह अग्नि मे सुलगे तन
भींगी जुल्फें नैन मद भरे
प्रीत लपट मे झुलसे मन
आज 'शैल' है मन बौराया
तड़प रहा दिल पीड़ बढ़े
बरखा बूंदों की है माया
नैन मे बरबस नीर भरे।।।।
© प्रकाश रंजन 'शैल'।
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