न वस्ल चाहिए
न सकून-ए-दिल
न कोई अहसास
न तमन्ना है कि
तू रहे दिल के पास
मुझे इतनी वफा चाहिए
मेरे ख्वाबों मे तू आती रहे
बस इतनी जफा चाहिए।
न खुदा की इबादत
न वजू चाहिए
न कोई आरजू
न जुस्तजू चाहिए
बख्श इतनी दौलत मौला
बस इतनी अदा चाहिए
कि जब हों सुपुर्दे खाक
तेरे दिल से निकले इक आह
और तेरी आखिरी सदा चाहिए।।
न सकून-ए-दिल
न कोई अहसास
न तमन्ना है कि
तू रहे दिल के पास
मुझे इतनी वफा चाहिए
मेरे ख्वाबों मे तू आती रहे
बस इतनी जफा चाहिए।
न खुदा की इबादत
न वजू चाहिए
न कोई आरजू
न जुस्तजू चाहिए
बख्श इतनी दौलत मौला
बस इतनी अदा चाहिए
कि जब हों सुपुर्दे खाक
तेरे दिल से निकले इक आह
और तेरी आखिरी सदा चाहिए।।
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