चल शाम हुयी चल वापस चल
तू जीवन के कुछ रंग बदल
थक गया बहुत पर दौड़ रहा
चल बैठ जरा सुस्ता ले चल
तू ले अपनी अब सोच बदल।।
तू जीवन के कुछ रंग बदल
थक गया बहुत पर दौड़ रहा
चल बैठ जरा सुस्ता ले चल
तू ले अपनी अब सोच बदल।।
यह प्रीत-नेह, आना जाना
तेरी हार-जीत, खोना-पाना
इक दिन मिट्टी मे मिल जाना
सब छोड़ यहीं है चल देना
सृष्टि का है यह नियम अटल।।
तेरी हार-जीत, खोना-पाना
इक दिन मिट्टी मे मिल जाना
सब छोड़ यहीं है चल देना
सृष्टि का है यह नियम अटल।।
चल तोड़ दे जीवन के बंधन
सुलझा ले जीवन की उलझन
चल हुआ बहुत चल जरा संभल
खुल कर जी ले जीवन के पल
अब सफर खत्म जाना है कल ।।
सुलझा ले जीवन की उलझन
चल हुआ बहुत चल जरा संभल
खुल कर जी ले जीवन के पल
अब सफर खत्म जाना है कल ।।
इस पल से कर ये नयी पहल
चल शाम हुयी अब वापस चल।।
चल शाम हुयी अब वापस चल।।
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