मेरी ख्वाहिशें थी बेजुबां
मेरा प्यार था आवारगी
थी दिल मे बेजा हसरतें
मेरा इश्क था बेचारगी
ये दिल्लगी की इल्तजा
थी प्रीत करने की सजा
यह उल्फतों की जंग थी
बस आशिकी के संग थी
था चाहतों का मेल यह
या प्रेम का बस खेल यह
मै खुद समझ पाया नही
कोई अनसुना संगीत थी
अब बंद हो ये फलसफा
तू पीड़ थी कि पीत थी
यह जिंदगी की रीत थी
मेरी हार मे तेरी जीत थी।।
पीत= प्रीत, प्यार
© प्रकाश रंजन 'शैल"।
मेरा प्यार था आवारगी
थी दिल मे बेजा हसरतें
मेरा इश्क था बेचारगी
ये दिल्लगी की इल्तजा
थी प्रीत करने की सजा
यह उल्फतों की जंग थी
बस आशिकी के संग थी
था चाहतों का मेल यह
या प्रेम का बस खेल यह
मै खुद समझ पाया नही
कोई अनसुना संगीत थी
अब बंद हो ये फलसफा
तू पीड़ थी कि पीत थी
यह जिंदगी की रीत थी
मेरी हार मे तेरी जीत थी।।
पीत= प्रीत, प्यार
© प्रकाश रंजन 'शैल"।
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