रह-रह कर,
एक हूक उठती है सीने मे
तीखी-कड़वी
मन कसैला करनेवाली
एक हूक उठती है सीने मे
तीखी-कड़वी
मन कसैला करनेवाली
नही, मैं याद नही करता तुझे
व्यस्त हूँ जीवन मे
तेरी यादों के लिए वक्त कहाँ है
बस इक हूक उठती है कभी-कभी
व्यस्त हूँ जीवन मे
तेरी यादों के लिए वक्त कहाँ है
बस इक हूक उठती है कभी-कभी
थोड़ा-थोड़ा चुनकर
समेट लिया है खुद को
खुश भी हूँ जीवन से
कोई गिले-शिकवे नही
अविरत धारा सा बहता जीवन
ख्यालों मे भी तेरे लिए
जगह नही छोड़ी मैने
समेट लिया है खुद को
खुश भी हूँ जीवन से
कोई गिले-शिकवे नही
अविरत धारा सा बहता जीवन
ख्यालों मे भी तेरे लिए
जगह नही छोड़ी मैने
तू अघटित घटना सी है अब
कोई वजूद नही बाकी जिसका
घिस-घिस कर मिटाया है
अपने तन से मन से
तेरे अहसासों को
कोई वजूद नही बाकी जिसका
घिस-घिस कर मिटाया है
अपने तन से मन से
तेरे अहसासों को
बच गया है बस यही
कभी- कभी सीने मे उठनेवाली हूक
तीखी-कड़वी
मन कसैला करनेवाली
कभी- कभी सीने मे उठनेवाली हूक
तीखी-कड़वी
मन कसैला करनेवाली
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