है चंद दिनों की सांसें अब
खुशबू की तमन्ना क्या होगी
रहता छाती मे दर्द प्रिये
मौसम की तमन्ना क्या होगी
कल रात बड़ा बेचैन रहा
ख्वाबों की तमन्ना क्या हो अब
किसी रात यूं ही सो जाउंगा
वादों की तमन्ना क्या हो अब
गठिया से हूं बेहाल प्रिये
क्यूं इश्क की दौड़ लगाउंगा
नजरों से भी कम दिखता है
मिलने की तमन्ना क्या हो अब
अब चलाचली की बेला है
बस बात मे लज्जत रख लेना
है रूग्ण शरीर, काया निर्बल
जज्बात की इज्जत रख लेना
गर मिलें कभी सम्मान करें
इक दूजे का हम मान करें
जीवन की आ गयी शाम प्रिये
जीने की तमन्ना क्या होगी।।।
खुशबू की तमन्ना क्या होगी
रहता छाती मे दर्द प्रिये
मौसम की तमन्ना क्या होगी
कल रात बड़ा बेचैन रहा
ख्वाबों की तमन्ना क्या हो अब
किसी रात यूं ही सो जाउंगा
वादों की तमन्ना क्या हो अब
गठिया से हूं बेहाल प्रिये
क्यूं इश्क की दौड़ लगाउंगा
नजरों से भी कम दिखता है
मिलने की तमन्ना क्या हो अब
अब चलाचली की बेला है
बस बात मे लज्जत रख लेना
है रूग्ण शरीर, काया निर्बल
जज्बात की इज्जत रख लेना
गर मिलें कभी सम्मान करें
इक दूजे का हम मान करें
जीवन की आ गयी शाम प्रिये
जीने की तमन्ना क्या होगी।।।
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